राजस्थान के संत संप्रदाय
राजस्थान के संत संप्रदाय
1• रामस्नेही संप्रदाय (निर्गुण भक्ति धारा)
अणभैवाणी ग्रंथ रामस्नेही संप्रदाय का है।
फूलडोल महोत्सव रामस्नेही संप्रदाय शाहपुरा भीलवाड़ा में मनाते हैं।
निसाणी संत हरिरामदास की प्रमुख कृति है।
रामस्नेही संप्रदाय की चार प्रमुख पीठे हैं-
1.शाहपुरा भीलवाड़ा प्रवर्तक संत राम चरण जी
(जन्म टॉक ; निवास स्थल जयपुर।)
2.रेण नागौर प्रवर्तक दरियाव जी
(जन्म जैतारण जोधपुर)
3.सिंहथल बीकानेर – प्रवर्तक हरिरामदास।
4.खेड़ापा जोधपुर – प्रवर्तक रामदास।
2• निंबार्क संप्रदाय
निंबार्क संप्रदाय की प्रमुख पीठ सलेमाबाद अजमेर हैं।
निंबार्क संप्रदाय की सलेमाबाद पीठ की स्थापना परशुराम ने की थी।
उपनाम- हंस/सनक संप्रदाय
वैष्णव मत को मानने वाले थे।
इस संप्रदाय की स्थापना परशुराम ने की।
निंबार्क संप्रदाय राधा को श्री कृष्ण की परिणीता मानकर पूजा करता था।
आचिंत्य भेदाभेदवाद निंबार्क संप्रदाय से संबंधित हैं।
3• दादू संप्रदाय (निर्गुण संप्रदाय)
प्रधान पीठ नरेना या नारायणा जयपुर।
दादू पंथ के लोग आजीवन अविवाहित रहते हैं।
दादू की रचना - कायाबेली
संत दादू की पांच प्रमुख शाखाएं हैं।
1.नागा 2.खाकी 3.खालसी 4.स्थानधारी 5.उत्तरादे 6.विरक्त।
संत दादू के शिष्य – गरीबदास,मिस्किनदास, सुन्दरदास, रज्जबदास ।
संत दादू की शिष्यों को खालसा कहा जाता है।
संत दादू की समाधि दादू खोल नरैना जयपुर में है।
संत दादू का जन्म अहमदाबाद गुजरात में हुआ था।
संत दादू के सत्संग स्थल को अलख दरीबा कहते हैं।
संत दादू को कबीर की उपाधि दी गई हैं।
4• विश्नोई संप्रदाय (निर्गुण संप्रदाय)
प्रधान पीठ मुकान तलवा बीकानेर।
संत जांभोजी पंवार वंशीय राजपूत थे।
संत जांभोजी का जन्म पीपासर नागौर में हुआ।
इन्हें पर्यावरण के देवता भी कहते हैं
इनके उपदेश साथरी कहलाते हैं।
जांभोजी ने विश्नोई पंथ की स्थापना समराथल में की।
29 नियम, 120 शब्द इस संप्रदाय के हैं।
5• लालदासी संप्रदाय (निर्गुण संप्रदाय)
प्रधान पीठ धौलीदूब अलवर व नगला-जहाज भरतपुर।
संत लालदास जी मुसलमान धर्म से संबंधित थे।
6• नाथ संप्रदाय
इस संप्रदाय की दो शाखाएं हैं
१.वैरागी नाथ राता डूंगर जोधपुर
२.माननाथी महामंदिर जोधपुर
नाथ संप्रदाय शैवमत से संबंधित था।
नाथ संप्रदाय के प्रमुख संत भृतहरी थे।
7• वल्लभ संप्रदाय
प्रधान पीठ नाथद्वारा राजसमंद।
वैष्णव मत से संबंधित।
श्री कृष्ण शरणम नमः मूल मंत्र वल्लभ संप्रदाय का है।
अणुभाष्य ग्रंथ की रचना वल्लभाचार्य ने की।
शुदाद्वैत दर्शन वल्लभाचार्य ने चलाया था।
8• रसिक संप्रदाय
प्रधान पीठ – रेवासा सीकर
रसिक संप्रदाय के प्रवर्तक पयहरि के शिष्य अग्रदास जी थे।
9• निरंजनी संप्रदाय
प्रधान पीठ गाढा नागौर।
संस्थापक हरिदास थे।
10• चरणदासी संप्रदाय
प्रधान पीठ – डेहरा अलवर व दिल्ली
चरणदास जी ने नादिरशाह के आक्रमण की भविष्यवाणी की थी। अष्टांग योग रचना चरणदास जी की है।
11• अंणखिया संप्रदाय
प्रधान पीठ दंतेवाड़ा भीलवाड़ा
12• जसनाथी संप्रदाय (निर्गुण संप्रदाय)
प्रधान पीठ कतरियासर बीकानेर
जसनाथ जी के गुरु का नाम गोरखनाथ था।
जसनाथ जी की रचनाएं कोंडा व सिंभुधड़ा कहलाती है।
परमहंस मंडली जसनाथ जी संप्रदाय का प्रचार करती थी।
सिकंदर लोदी ने जसनाथ जी को भूमि दान दी थी।
36 नियम व 160 शब्द जसनाथी संप्रदाय के हैं।
भक्ति की अपेक्षा योग पर बल जसनाथ जी ने दिया।
उपपीठ- मालासर (बीकानेर) , लिखमादेसर (बीकानेर) , पूनरासर (बीकानेर) , बमलू (बीकानेर) एवं पाँचला (नागौर)
13• परनामी संप्रदाय
इस संप्रदाय के संस्थापक प्राणनाथ थे।
प्रधान पीठ जयपुर
इनके ग्रंथ का नाम कुजलम संग्रह है।
15• अलखियां संप्रदाय
प्रवर्तक - लालगीरीजी
पीठ – बीकानेर/चुरू
16• रामानंदी संप्रदाय
गलताजी में रामानंद संप्रदाय की पीठ की स्थापना का श्रेय - कृष्णदास पयहरि
रेवासा सीकर में रामानदी संप्रदाय की पीठ की स्थापना अग्रदास ने की थी।
प्रमुख शिष्य – कबीर, संत धन्नाजी ,पीपाजी,सदनाजी,रैदास
17• सर्वंगी संप्रदाय
सांगलिया धूणी सीकर
18• गौड़ीय संप्रदाय
प्रमुख स्थल गोविंद देव मंदिर जयपुर व मदन मोहन मंदिर करौली।
इसे ब्रह्म संप्रदाय भी कहते हैं।
इसके प्रवर्तक माधवाचार्य थे।
इस संप्रदाय के प्रचार-प्रसार का कार्य गौरांग महाप्रभु चैतन्य ने किया।
वैष्णव मत से संबंधित।
इस संप्रदाय में राधा कृष्ण की युगल स्वरूप में पूजा की जाती है।
19• पशुपति संप्रदाय
यह शैवमत से संबंधित है।
20• कापालिक संप्रदाय
यह शैवमत से संबंधित है।
21• रामानुज संप्रदाय
संस्थापक कृष्णदास पयहरी।
वैष्णव मत से संबंधित है।
22• गूदङ संप्रदाय
प्रवर्तक - संतदास
स्थान - दंतेवाड़ा भीलवाड़ा
23• नवल संप्रदाय
स्थान - जोधपुर
24• कामङीया संप्रदाय
कामङिया संप्रदाय के प्रवर्तक रामदेव जी थे।
इसकी शाखा रामदेवरा पोकरण जैसलमेर में हैं।
25• चरण दास जी संप्रदाय
प्रमुख पीठ - दिल्ली
संत चरणदासजी का जन्म डेहरा गांव अलवर में हुआ।
नादिरशाह के आक्रमण की भविष्यवाणी संत चरणदासजी ने की थी।
संत चरणदासजी की शिष्या दयाबाई जिन्होंने विनय मलिका ग्रंथ की रचना की।
26• दाऊदी बोहरा संप्रदाय
स्थान - गलियाकोट डूंगरपुर
27• तेरापंथी संप्रदाय (जैन धर्म से संबंधित)
तेरापंथ संप्रदाय की स्थापना भिक्षु स्वामी ने की।
राजस्थान में तेरह पंथ के प्रवर्तक – भीखङ जी थे।
तेरापंथ के आचार्य तुलसी ने अणुवर्त सिद्धांत दिया तथा आचार्य महाप्रज्ञ प्रेक्षाध्यान का सिद्धांत दिया।
28• निष्कलंक संप्रदाय
संस्थापक मावजी डूंगरपुर।
गौङीय सम्प्रदाय
प्राणधारी सम्प्रदाय
29• पुष्टिमार्गीय संप्रदाय
पुष्टिमार्गीय संप्रदाय की मुख्य पीठ नाथद्वारा है।
पुष्टिमार्ग संप्रदाय की कोटा पीठ के संस्थापक मथुरेश जी थे।
पुष्टिमार्गीय संप्रदाय की स्थापना वल्लभाचार्य ने की थी। पुष्टिमार्गीय संप्रदाय के लोग कृष्ण को बाल रूप में पूजते हैं।
पुष्टिमार्गीय संप्रदाय में प्रचलित संगीत हवेली संगीत कहलाता है।
वल्लभाचार्य के उत्तराधिकारी विट्ठलनाथ ने अष्टछाप कवि मंडली की स्थापना की।
पुष्टिमार्ग संप्रदाय की प्रमुख पीठे -
नाथद्वारा - विट्ठलनाथजी - राजसमंद
कांकरोली - द्वारकाधीशजी - राजसमंद
कोटा - मथुरेशजी - कोटा
संत धन्ना –
संत धन्ना का जन्म टोंक जिले के एक जाट परिवार में हुआ था संत धन्ना जी बनारस जाकर रामानंद के शिष्य बन गए। संत धना वैष्णव भक्त थे।
इनके पद गुरु ग्रंथ साहिब साहिब में संकलित है।
संत पीपा –
संत पीपा का जन्म गागरोन दुर्ग झालावाड़ के किसी परिवार में हुआ था।
संत पीपा निर्गुण विचार धारा के कवि थे
बचपन का नाम प्रताप सिंह था।
हिंदी गुरु का नाम रामानंद था।
इनकी सत्री गागरोन दुर्ग में स्थित है।
इनका प्रमुख मेला समदड़ी बाड़मेर में भरता है।
उनके ग्रंथ का नाम चिंतावणि जोग है।
Question Answer
ऊंदरिया पंथ किसने चलाया था ?
उतर - भीलों ने
वागड़ की मीरा के रूप में कोन प्रसिद्ध है ?
उतर - गवरी बाई
संत भूरी बाई अलख का कार्यक्षेत्र था ?
उतर - मेवाड़
अणुव्रत आंदोलन के प्रवर्तक कौन थे ?
उतर - आचार्य तुलसी
राजस्थान में नृसिंह के नाम से किस संत को जाना जाता है ?
उतर - जैमलदास
कौनसा संत राजस्थान के नृसिंह कहलाते हैं ?
उतर - भक्त कवि दुर्लभ
रामानुज संप्रदाय के संस्थापक कौन थे?
उतर - कृष्णदास पयहरी
गोङीय संप्रदाय के संस्थापक कौन थे ?
उतर - माधवाचार्य
अलखिया संप्रदाय के संस्थापक कौन थे?
उतर - लाल गिरी
राजस्थान में तेरह पंथ के प्रवर्तक कौन थे ?
उतर - भीखङ जी
अष्टछाप कविमंडली की स्थापना किसने की ?
उतर - विट्ठलनाथ ने
शक्कर पीर बाबा का लोकप्रिय नाम नरहङ देव था।
संत मावजी के उपदेश चोपड़ा कहलाते हैं।
संत मावजी कृष्ण के निष्कलंकी अवतार थे।
मीरा के गुरु का नाम क्या था ?
उतर - संत रैदास,तथा इनकी छतरी चित्तौड़गढ़ दुर्ग में स्थित है।
कुंडा पंथ के प्रणेता कौन थे ?
उतर - राव मल्लीनाथ
संत भूरी बाई अलख का कार्यक्षेत्र था ?
उतर - मेवाड़
संत सुंदर दास का पैनोरमा कहां स्थित है ?
उतर - दौसा
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